लड़खड़ाते कदम

चलते–चलते यूं कदम लड़खड़ाने लगे,

हमने सोचा कि.....

हम इतनी कमजोरी कब से दिखलाने लगे ।

जब नींद खुली और....

होश संभाल कर जो यूं देखा कि जिसकी बैसाखी का सहारा लिया था ,

वही धोखा दिए जा रहा था ।

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